अभी गनीमत है सबर मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूँवो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं…
सबकी पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए,सोचता हूँ कोई अखबार निकाला जाए,पी के जो मस्त है उनसे तो कोई खौफ…