तुझे बेहतर बनाने की कोशिश में, तुझे ही वक्त नहीं दे पा रहे हम, माफ करना ऐ ज़िंदगी, तुझे ही…
ना जख्म भरे ना शराब सहारा हुई, ना तू वापिस लोटी, ना मोहोब्बत दोबारा हुई! Na zakhm bhare na sharaab…