मुझे भी पता था की बदल जाते है लोग,मगर तुझे मैंने कभी लोगों में गिना ही नहीं!Mujhe bhi pata tha…
तेरी जुल्फ़ों की छाँव का मुंतज़िर हुआ जाता हूँ,अब ये आलम है की बारिश भी सूखी लगती है!Teri zulfon ki…